हमारे देश में महादेव के कई मंदिर है | देश के हर कोने में आपको महादेव के मंदिर अवश्य मिलेंगे | लेकिन सबसे ज्यादा मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में मौजूद है | उत्तराखंड को महादेव की नगरी भी कहा जाता है | यहाँ महादेव के कई मंदिर है और प्रत्यके मंदिर से जुडी कोई ना कोई मान्यता या कथा जरूर है | आज हम आपको महादेव के उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जहाँ रावण ने महादेव को अपने 10 सिर अर्पित किये थे |
हम आपको उस स्थान के बारे में बताने जा रहे है, जहाँ राक्षसराज रावण ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी | इतना ही नहीं महादेव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने अपना सिर काटकर चढ़ा दिया था |
जिस मंदिर में रावण ने अपने सिर की आहुति दी थी | वह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के विकासखंड के बैरास कुंड के पास स्थित है | यहाँ पैराणिक मंदिर है | इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह वही मंदिर है, जहाँ रावण ने अपने मस्तक महादेव को अर्पित किये थे |
इस स्थान पर रावण शिला और रावण द्वारा किये गए यज्ञ का कुंड भी है | साथ ही महादेव स्वयंभू लिंग के रूप में विराजमान है | इस मंदिर में भक्तो का ताँता लगा रहता है | बता दे ये एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमे रावण और महादेव दोनों की एक साथ पूजा होती है |
बता दे रावण संहिता में इस बैरास कुंड का जिक्र किया गया है, प्राचीन काल में इस कुंड को दशमौली कहा जाता था | महादेव के इस मंदिर में दूर दूर से लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते है |
देवभूमि उत्तराखंड में स्थित महादेव के सभी धामों में से इस स्थान का विशेष महत्व माना गया है | बता दे यहां पुरातत्व महत्व की बहुत सी चीजें प्राप्त हुई है, इस स्थान पर खेत की खुदाई के समय एक कुंड मिला था, जिसका संबंध त्रेता युग से बताया जाता है |
बैरास कुंड में जिस स्थान पर रावण ने शिवजी की तपस्या की थी वह कुंड, यज्ञशाला और शिव मंदिर आज भी यहां पर मौजूद है | इस स्थान पर बहुत से मंदिर मौजूद है, नंदप्रयाग का संगम स्थल, गोपाल जी मंदिर और चंडिका मंदिर यहां के मशहूर मंदिरों में से एक माने गए है, यह स्थान हरे-भरे पहाड़ और नदियों से घिरा हुआ है यहाँ पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अध्यात्मिक सुकून प्राप्त होता है |